यात्रा जाओ से सिंघाड तक
पहले दिन श्रदालु रामपुर से सड़क मार्ग से निरमंड की और रवाना होते है। रास्ते मैं करीब 15 किलोमीटर की दुरी पर बॉयल गांव की पहाड़ी पर देवढाँक नाम का एक स्थान आता है।
जहा एक प्राचीन शिव का गुफा है। सबसे पहले लोग इस गुफा के दर्शन के लिए जाते है। बताया जाता है की प्राचीन समय मैं इसी देवढांक गुफा मैं शिव भस्मासुर से बचने के लिए छुपे हुए थे।
भगवान शिव ने ही भस्मासुर की तपस्या से प्रसन्न होकर कंगन वरदान के रूप मैं दिया था। इस कंगन को जिस के सर के ऊपर से घुमा दिया जाता तोह वह भसम हो जाता था। भस्मासुर ने अपने अहंकार के कारन इस कंगन का इस्तेमाल शिव पर ही करने का प्रयास किया।
जिससे बचने के लिए शिव ने इस गुफा में शरण लिया। ऐसा माना जाता है कि इसी गुफा से शिव ने अपने त्रिशूल से श्रीखंड तक एक गुप्त मार्ग को बनाया और इसी मार्ग से श्रीखंड पहुंचे।
यही कारन है की देवढाँक की मान्यता आज भी काम नहीं हुई। यंहा गुफा मैं प्रवेश और बाहर निकलने के लिए एक मिटटी और चट्टानों से बना एक छेद है जिससे होकर हे लोगो को दर्शन के लिए गुफा मैं प्रवेश करना पड़ता है।
ऐसा मत है की पापी इस गुफा मैं प्रवेश नहीं कर सकता चाहे वह कितना भी पतला न हो जबकि धर्मी चाहे जितना बी मोटा हो बड़ी सुगमता से प्रवेश कर सकता है।
यंहा मंदिर के पास बेलपत्र पाए जाये है जिन्हे श्रदालु अपने साथ ले जाते है और श्रीखंड महादेव क पास पहुँचने पर भगवान शिव को चढ़ाते है। ज्योतिष के जानकारों के अनुसार शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से शिव प्रसन्न होते हैं और इसके बिना शिव की उपासना पूरी नहीं होती है।
इसके बाद यात्रा यंहा से आगे शुरू होती है। बागीपुल पहुंचने पर यंहा पहला भंडारा भक्तो को मिलता है। इसके बाद जाओ तक की यात्रा आप गाड़ी से जा सकते है। जाओ से आगे की यात्रा को पैदल चल कर ही पूरा किया जा सकता है। जो बहुत कठिन है। जाओ से सिंहगाड़ के बीच बहुत सारे भंडारे खाने को मिलेंगे
श्रीखंड यात्रा के समय देवढाँक में प्राकृतिक शिव गुफा, निरमंड में सात मंदिर, जाओ गांव में माता पार्वती सहित नौ देवियां, परशुराम मंदिर, दक्षिणेश्वर महादेव, हनुमान मंदिर अरसु, सिंहगाड, जोतकाली, ढंकद्वार, बकासुर बध, ढंकद्वार व कुंषा आदि स्थान आते हैं।
जाओ से सिंहगाड गांव की दुरी 3 कम हैं। यंहा पर यात्रियों के लिए श्री खंड सेवा दल की ओर से दिन रात लंगर चलाया जाता है। श्री खंड सेवा दल की ओर से 2 और स्थानों थाचडू और भीमडवारी मैं भी रहने और लंगर को दिन रात चलाया जाता है।
सिंहगाड में प्रशासन की और से प्रत्येक यात्री का रजिस्ट्रेशन किया जाता है। यह यात्रा का बसेकंप भी है बिना रजिस्ट्रशन यंहा से आगे जाने की मनाही है। यंहा पर डॉक्टर भी मौजूद रहते है जो यात्रियों की चेकउप करने के बाद हे आगे जाने की अनुमति देते है।
यंहा पर बहुत सारे लंगर भी लगाए जाते है। रात्रि के समय सिंहगाड मैं शिव की महिमा मैं भजन और आरती का आयोजन भी किया जाता है। यंहा पर रात्रि मैं यात्रियों को सोने के लिए कपड़ो की भी वयवस्था किया गया है।